जल नेति
जल नेति
नमकीन पानी के साथ नेति
तकनीक :
- विशेष रूप से बने हुए बर्तन, नेति-पात्र, को गरम नमकीन पानी से भर लें। पानी का तापमान 38-40 सेन्टीग्रेड हो व उसमें 1 लीटर पानी में लगभग 1 चाय का छोटा चम्मच नमक मिला हो।* सिर को धोने के पात्र (जैसे टब) के ऊपर झुकाएं और आहिस्ता से नेति-पात्र की नली को दायें नथुने में डाल दें (जिसके फलस्वरूप नथुना बंद हो जाता है।) सिर को थोड़ा आगे मोड़ें और इसी समय सिर को बायीं ओर झुकाएं जिससे पानी बायें नथुने से बाहर निकल जाये। खुले मुख से श्वास लेते रहें। दायें नथुने से नेति-पात्र में भरा लगभग आधा पानी बहा दें।
- अब आहिस्ता से नेति-पात्र की नली को बायें नथुने में डालें और सिर को दायीं ओर झुकाएं, जिससे पानी दायें नथुने से बाहर निकल जाये। जब यह क्रिया समाप्त हो जाए तब कपाल-भाति-प्राणायाम तकनीक से दोनों नथुनों से अवशिष्ट पानी बाहर निकाल दें।
- नाक के शुद्धिकरण को पूर्ण करने के लिए, एक नथुने को बंद करके दूसरे नथुने से 3-5 बार प्रत्येक नथुने से जोर से श्वास बाहर निकालें (जैसे आप नाक साफ करते हैं)। इस क्रिया के दौरान पानी को कानों में जाने से रोकने के लिए यह जरूरी है कि मुंह खुला रहे।
लाभ :
सिर की सभी इन्द्रियों पर सार्थक प्रभाव होता है। देखने की क्षमता बढ़ती है और थकी-मांदी आंखों को आराम मिलता है (उदाहरणार्थ, कम्प्यूटर पर घंटों काम करने के बाद)। नेति सिर-दर्द को दूर करने में भी सहायक होती है। स्मरण-शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है। यह नासापुट और शिरानाल की समस्याओं के समाधान में भी लाभदायक है। इसका सिर में ठंडक और साइनासाइटिस (नाक में सूजन) में सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके नियमित अभ्यास से नेति परागज ज्वर (हे-फीवर) और पराग-जन्य प्रति-ऊर्जा (एलर्जी) भी दूर होती है या इनमें सुधार तो होता ही है।
सावधानी :
यदि आपको भयंकर सर्दी (जुकाम) अथवा कान में पीड़ा है तो इसका अभ्यास नहीं करें, ।
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