रोग उपयोगी आसन
रोग और उनके उपयोगी आसन
ताड़ासन : करियर आदि में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से युवाओं में गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। याददाश्त कम होती जा रही है। उच्च रक्तचाप की समस्या हो गई है। इस आसन को करने से लाभ मिलता है।
बज्रासन : शरीर का मध्य भाग सीधा रहता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है। मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति की बुद्धि स्थिर होती है। इसे नियमित करने से लाभ मिलेगा। शरीर मजबूत होगा।
रेखागति आसन : इस आसन को करने से एकाग्रता बढ़ती है। रक्तचाप सामान्य रहता है। सभी को इस आसन को करना चाहिए। छात्र-छात्राएं भी इसे कर सकते हैं।
अट्टहास : प्रतिदिन दिन में तीन बार 30 सेकेंड तक खुलकर हंसने से तनाव से मुक्ति मिलती है। काया निरोगी रहती है। शिविर में इस क्रिया को करने से आपस में उत्पन्न होने वाली क्रियाओं का असर रहता है।
अर्धउष्ट्रासन : लगातार बैठकर काम करते रहने से रीढ़ व कमर दर्द की समस्या होने लगी है। इस आसन के अभ्यास से इससे निजात मिलती है। इसको कार्यालय में भी बैठकर किया जा सकता है।
शशांक आसन : इसके नियमित अभ्यास से पीठ दर्द और गर्दन दर्द में राहत मिलती है। दमा, मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
शिशु गति आसन : इस योगासन में सभी एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ने से शरीर दर्द की समस्या से राहत मिलती है। कब्ज से भी आराम मिलता है। अनिद्रा के लिए बहुत फायदेमंद है।
मकरासन : कमर दर्द, स्लिप डिस्क की समस्या से पीड़ित लोगों को इसके अभ्यास से आराम मिलता है। अवसाद और थकावट को दूर करने में बहुत लाभप्रद है।
भ्रामरी प्राणायाम : नींद न आने और दिमाग की परेशानियों से निजात पाने के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। उच्च रक्तचाप की बीमारी में इससे लाभ मिलता है।
ताड़ासन : करियर आदि में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से युवाओं में गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। याददाश्त कम होती जा रही है। उच्च रक्तचाप की समस्या हो गई है। इस आसन को करने से लाभ मिलता है।
बज्रासन : शरीर का मध्य भाग सीधा रहता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है। मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति की बुद्धि स्थिर होती है। इसे नियमित करने से लाभ मिलेगा। शरीर मजबूत होगा।
रेखागति आसन : इस आसन को करने से एकाग्रता बढ़ती है। रक्तचाप सामान्य रहता है। सभी को इस आसन को करना चाहिए। छात्र-छात्राएं भी इसे कर सकते हैं।
अट्टहास : प्रतिदिन दिन में तीन बार 30 सेकेंड तक खुलकर हंसने से तनाव से मुक्ति मिलती है। काया निरोगी रहती है। शिविर में इस क्रिया को करने से आपस में उत्पन्न होने वाली क्रियाओं का असर रहता है।
अर्धउष्ट्रासन : लगातार बैठकर काम करते रहने से रीढ़ व कमर दर्द की समस्या होने लगी है। इस आसन के अभ्यास से इससे निजात मिलती है। इसको कार्यालय में भी बैठकर किया जा सकता है।
शशांक आसन : इसके नियमित अभ्यास से पीठ दर्द और गर्दन दर्द में राहत मिलती है। दमा, मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
शिशु गति आसन : इस योगासन में सभी एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ने से शरीर दर्द की समस्या से राहत मिलती है। कब्ज से भी आराम मिलता है। अनिद्रा के लिए बहुत फायदेमंद है।
मकरासन : कमर दर्द, स्लिप डिस्क की समस्या से पीड़ित लोगों को इसके अभ्यास से आराम मिलता है। अवसाद और थकावट को दूर करने में बहुत लाभप्रद है।
भ्रामरी प्राणायाम : नींद न आने और दिमाग की परेशानियों से निजात पाने के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। उच्च रक्तचाप की बीमारी में इससे लाभ मिलता है।
नहीं रहेगा घुटनों का दर्द :-
घुटनों के दर्द से निजात पाने के लिए पवन मुक्त क्रियाएं करनी चाहिए। इसके अलावा 250 ग्राम तिल का तेल और दो से तीन टिक्की कपूर को पीसकर एक शीशी में भर लें। इसके बाद ढक्कन कस के बंद कर सात से आठ घंटे के लिए धूप में रख दें। रात को सोते समय हल्के हाथों से नियमित मालिश करने से घुटनों का दर्द बंद हो जाता है।
Comments
Post a Comment