क्रिया का मतलब
क्रिया का मतलब :
क्रिया योग की यह विशेषता है कि इसमें ध्यान के लिए मन को नियन्त्रित करने की आवश्यकता नहीं रहती है।
इसमें सर्व प्रथम आँखें खुली रखते हुए मन को मनमानी करने की छूट दी जाती है।
मन की गति को सिर्फ साक्षी भाव से देखा जाता है। अन्ततः मन धीरे-धीरे स्वयं शान्त होने लगता है।
जैसे ही मन शान्त हो जाता है, वैसे ही साधक ध्यान की स्थिति में पहुँच जाता है।
मगर इस क्रिया योग (Kriya Yoga) की साधना में अन्य कई प्रकार के अभ्यास भी जोड़ दिये गये हैं।
इसमें आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बन्ध तथा हठयोग कई कठिन क्रियाएं भी शामिल हैं।
कुल मिलाकर क्रिया योग (Kriya Yoga) की तैयारी काफी कठिन है- भले ही इसकी साधना को सरल रूप में चित्रित किया जाय।
इस साधन में यह भी माना जाता है कि इस क्रिया योग (Kriya Yoga) के अभ्यास से मूलाधार में प्रसुप्त कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती है
और इसके दिव्य अनुभव साधक को प्राप्त होते हैं।
यह भी माना जाता है कि इस ‘क्रियायोग’ से हर प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग भी ठीक हो जाते हैं
योग में प्रमुखता छह क्रियाएं होती है :-
1.त्राटक
2.नेती
3.कपालभाती
4.धौती
5.बस्ती
6.नौली|
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